शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की ओर से संसद में की गई हालिया टिप्पणियों पर कड़ा संज्ञान लिया और उन पर ‘अभय मुद्रा’ को गुरु नानक देव की विचारधारा से जोड़ने का आरोप लगाया. इसके साथ ही एसजीपीसी ने किसी भी कलाकार या अभिनेता को स्वर्ण मंदिर परिसर में अपने प्रचार के लिए वीडियोग्राफी करने से रोकने का भी आदेश दिया.
एसजीपीसी ने एक बयान में कहा, ‘‘राहुल गांधी ने गुरु नानक का संदर्भ देते हुए कहा कि गुरु साहब की छवि अभय मुद्रा दर्शाती है, यह पूरी तरह से गलत है. प्रस्ताव में यह स्पष्ट किया गया कि गुरु साहब ने ऐसी किसी भी मुद्रा या आसन को मान्यता नहीं दी. उन्होंने केवल एक ‘अकाल पुरख’ के साथ जुड़ने की शिक्षा दी.’’
‘बिना जानकारी के राजनीति का हिस्सा न बनाएं’
संसद में राहुल गांधी की गुरु नानक देव के दर्शन और छवि को लेकर की गई टिप्पणियों पर कड़ा संज्ञान लेते हुए एसजीपीसी ने कहा कि पवित्र गुरबानी और गुरुओं की शिक्षाओं को पूरी जानकारी के बिना राजनीतिक बहस का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए. इस संबंध में पारित प्रस्ताव में कहा गया कि अक्सर राजनीतिक लोगों की ओर से गुरुओं के मूल सिद्धांतों और पवित्र गुरबानी के अर्थ की भी गलत व्याख्या की जाती है जिससे सिखों की भावनाएं आहत होती हैं.
संसद के दोनों सदनों के लिए पारित किया प्रस्ताव
प्रस्ताव के जरिए एसजीपीसी ने लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति से यह सुनिश्चित करने की अपील की कि संसद की कार्यवाही के दौरान किसी की भी धार्मिक भावनाएं आहत न हों. दरअसल विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने एक जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर बहस के दौरान बोलते हुए पैगंबर मुहम्मद का हवाला देते हुए कहा था कि कुरान निर्भयता की बात करता है.
उन्होंने कहा था कि जब हाथ ”दुआ” में उठाए जाते हैं तो एक तरह से ”अभय मुद्रा” भी देखी जा सकती है. उन्होंने निर्भयता के महत्व को रेखांकित करने के लिए भगवान शिव, गुरु नानक और ईसा मसीह की तस्वीरें हाथ में लेकर हिंदू धर्म, इस्लाम, सिख धर्म, ईसाई धर्म, बौद्ध धर्म और जैन धर्म का उल्लेख किया था.
‘ये हरकतें माफ करने लायक नहीं’
एसजीपीसी प्रमुख हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि हर धार्मिक स्थान के अपने नियम होते हैं और जानबूझकर की गई हरकतें माफ करने योग्य नहीं हैं.