शराब होगी सस्ती छत्तीसगढ़ में, अब मिलेंगे मनचाहे ब्रांड: FL-10 लाइसेंस खत्म,  2200 करोड़ का स्कैम का कारण रहा FL-10

छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार ने शराब की FL-10 लाइसेंस व्यवस्था को खत्म कर दिया है। इस फैसले के बाद सरकार ये दावा कर रही है कि शराब खरीदी में बिचौलियों का रोल पूरी तरह खत्म हो जाएगा। साय सरकार का ये भी आरोप है कि FL-10 लाइसेंस व्यवस्था की वजह से ही पिछली भूपेश सरकार में शराब के कारोबार में 2200 करोड़ का घोटाला
हुआ।

सरकार के इस फैसले के बाद इस बात की चर्चा सबसे ज्यादा है कि शराब खरीदने वाले उपभोक्ताओं पर इसका क्या असर होगा? प्रदेश में इस नई व्यवस्था के लागू होने से क्या फायदा होगा, आखिर FL-10 लाइसेंस क्या होता है, किस तरह इस लाइसेंस की आड़ में लिकर स्कैम के सभी सवालों के जवाब सिलसिलेवार जानते हैं।

आखिर FL-10 लाइसेंस क्या है?
FL-10 का फुल फॉर्म है, फॉरेन लिकर-10। इस लाइसेंस को छत्तीसगढ़ में विदेशी शराब की खरीदी की लिए राज्य सरकार ने ही जारी किया था। जिन कंपनियों को ये लाइसेंस मिला है, वे मेनूफैक्चर्स यानी निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को सप्लाई करते थे। इन्हें थर्ड पार्टी भी कह सकते हैं। खरीदी के अलावा भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम भी इसी लाइसेंस के तहत मिलता है। हालांकि इन कंपनियों ने भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन का काम नहीं किया इसे बेवरेज कॉपोरेशन को ही दिया गया था। इस लाइसेंस में भी A और B कैटेगरी के लाइसेंस धारक होते थे।
FL-10 A इस कैटेगरी के लाइसेंस-धारक देश के किसी भी राज्य के निर्माताओं से इंडियन मेड विदेशी शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।
FL-10 B राज्य के शराब निर्माताओं से विदेशी ब्रांड की शराब लेकर विभाग को बेच सकते हैं।

बीजेपी सरकार में FL-10 ने लिया आकार

आबकारी मामलों के जानकार बताते हैं कि, FL-10 लाइसेंस की व्यवस्था साल 201 7-18 में बनी थी, जो लागू नहीं हो पाई। तब प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी। कांग्रेस सरकार बनने के बाद पुराने अधिनियम में संशोधन करते हुए FL-10 की व्यवस्था फरवरी 2020 में लागू की गई। इसके बाद थर्ड पार्टी ही सरकार को शराब की सप्लाई करने लगी। इसमें बड़ा कमीशन थर्ड पार्टी की कमा रही थी। ED ने अपनी 10 हजार पेज की रिपोर्ट में FL-10 को ही भ्रष्टाचार की जड़ बताया है।

प्राइवेट कंपनियों को ठेका देकर उनसे खरीदी गई शराब
इस व्यवस्था से पहले बाजार से शराब खरीदने की जिम्मेदारी बेवरेज कॉपोरेशन ऑफ छत्तीसगढ़ के पास थी। मार्च 2020 में इसे छीनकर सारे अधिकार 3 प्राइवेट संस्थाओं को दे दिए गए। जानकारी के मुताबिक इस समय कुल 28 कंपनियों ने टेंडर भरा था, जिनमें 8 शॉर्ट लिस्टेड की गई, लेकिन टेंडर 3 को ही मिला।
इन तीनों कंपनियों के पास कोई पुराना अनुभव नहीं था। फरवरी 2020 में ही ये कंपनियां बनीं और मार्च 2020 में इन्हें करोड़ों का कॉन्रैक्ट भी मिल गया। इन तीनों कंपनियों के मालिकों को लिकर स्कैम के मास्टरमाइंड अनवर ढेबर का करीबी बताया गया है।

दूसरे राज्यों से छत्तीसगढ़ आते ही कई गुना महंगी हो जाती थी शराब
दरअसल, मल्टीनेशनल फॉरेन लिकर्स की कंपनियों का बड़ा बाजार है। साथ ही उनकी डिमांड भी ज्यादा होती है। इनकी मैन्युफैक्चरिंग के बाद जल्दी खराब होने का डर नहीं होता। इसलिए बड़ी कंपनियां अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए जल्दबाजी नहीं करतीं। इसके लिए वे कमीशन भी नहीं देती।
ऐसे में शराब से कमाई का दूसरा रास्ता निकाला गया। निर्माता कंपनियों से सीधे खरीदी करने की बजाय थर्ड पार्टी अपॉइंट की गई, जो निर्माताओं से शराब लेकर सरकार को बेच रही थी। इसमें बिचौलिए बड़ी रकम वसूल रहे थे आरोप है कि विभागीय मंत्री समेत आबकारी विभाग के अधिकारियों और इस सिंडिकेट के बड़े रसूखदारों के पास इसका कमीशन पहुंचता था।
प्रीमियम ब्रांड की कोई शराब अगर दूसरे राज्यों में 1400 की बिकती है, तब बिचौलियों के जरिए छत्तीसगढ़ की शराब दुकानों में आते ही उसकी कीमत 2000 से 2400 रुपए तक हो जाती थी। इसका नतीजा ये हुआ कि छत्तीसगढ़ में शराब काफी महंगी बिकने लगी। इस दौरान नकली होलोग्राम और मिलावटी शराब बिकने की भी शिकायतें आईं।

पसंद की नहीं मिल रही थी ब्रांड
चालू साल, यानी 2024-25 के लिए पुरानी व्यवस्था के ही तहत FL-10 (A, B) लाइसेंस धारकों ने 375 ब्रांड का रेट ऑफर किया था, लेकिन इनमें से केवल 165 ब्रांड की आपूर्तिही वे कर रहे थे। पसंद की ब्रांड नहीं मिलने के कारण शराब उपभोक्ता भी नाराज थे।
इन लाइसेंस धारकों की ओर से शराब निर्माता कंपनियों से अपनी शर्तों पर शराब की खरीदी की जाती थी। इसका भंडारण छत्तीसगढ़ स्टेट बेवरेजेस कॉर्पोरेशन लिमिटेड के गोदाम में किया जाता था। लोगों को उसी ब्रांड की शराब मिलती, जिनसे थर्ड पार्टी को बड़ा कमीशन मिलता था।

अब इस तरह सस्ती होगी शराब
अपने अनुभवों के आधार पर पूर्व एक्साइज कमिश्र गणेश शंकर मिश्रा का दावा है कि बेवरेज कॉपोरेशन अगर सीधे शराब निर्माता कंपनियों से खरीदी करता है तो इससे ग्राहकों को फायदा होगा। बिचौलियों के हटने से आम उपभोक्ता को शराब कम कीमत में मिलेगी। नई व्यवस्था में शराब की कीमतों में सरकार का नियंत्रण रहेगा। नई व्यवस्था के तहत FL-10 को जो कमीशन मिलता था, उसे कम करके ही शराब कंपनियां रेट कोट करेंगी। इससे शराब की कीमतें स्वाभाविक तौर पर कम होंगी।

  • Related Posts

    रोटरी रॉयल बिलासपुर का छठा इंस्टालेशन (शपथ ग्रहण) संपन्न

    रोटरी इंटरनेशन डिस्ट्रिक्ट 3261 के अंतर्गत रोटरी क्लब ऑफ रॉयल बिलासपुर का शपथग्रहण गरिमामय समारोह के रूप में आयोजित हुआ। समाज सेवा में अग्रसर रोटरी इंटरनेशनल एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है…

    Continue reading
    डेटा खपत के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी कंपनी बनी JIO

    दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो ने शनिवार को कहा कि वह ‘डेटा ट्रैफिक’ यानी खपत के मामले में चीनी कंपनियां को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बन गयी…

    Continue reading

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    You Missed

    कौन है ये ‘सत्ता-परिवर्तन का मास्टर’: किर्गिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश… डोनाल्ड की ‘लू’ में एक-एक कर जलते जा रहे देश, बीच चुनाव में पहुँच गया था चेन्नई

    कौन है ये ‘सत्ता-परिवर्तन का मास्टर’: किर्गिस्तान, पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश… डोनाल्ड की ‘लू’ में एक-एक कर जलते जा रहे देश, बीच चुनाव में पहुँच गया था चेन्नई

    कैसे होंगे भारत के हालात? बांग्लादेश जैसी स्थिति फिलहाल नहीं

    कैसे होंगे भारत के हालात? बांग्लादेश जैसी स्थिति फिलहाल नहीं

    No ReNeet: NEET 2024 नहीं होगी रद्द: सुप्रीम कोर्ट, कहा सिस्टम में कोई गड़बड़ी नहीं

    No ReNeet: NEET 2024 नहीं होगी रद्द: सुप्रीम कोर्ट, कहा सिस्टम में कोई गड़बड़ी नहीं

    रोटरी रॉयल बिलासपुर का छठा इंस्टालेशन (शपथ ग्रहण) संपन्न

    रोटरी रॉयल बिलासपुर का छठा इंस्टालेशन (शपथ ग्रहण) संपन्न

    डेटा खपत के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी कंपनी बनी JIO

    डेटा खपत के मामले में दुनिया में सबसे बड़ी कंपनी बनी JIO

    पत्नी के रहते दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहना भारी पड़ा पुलिस कांस्टेबल को, झारखंड हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को उचित माना

    पत्नी के रहते दूसरी महिला के साथ लिव इन में रहना भारी पड़ा पुलिस कांस्टेबल को, झारखंड हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी को उचित माना