EVM पर जर्मन यूट्यूबर ध्रुव राठी के झूठ फैलाने के बाद अखबार मिड डे ने अपनी ही खबर का बिना माफी खंडन किया है।
रिपोर्ट को आधार बनाकर फैलाया गया झूठ
जिस रिपोर्ट को इतनी आसानी से मिड डे ने रफा दफा करने का प्रयास किया है वो कोई सामान्य रिपोर्ट नहीं थी। विपक्षी नेताओं ने उसका इस्तेमाल देश के लोकतंत्र पर सवाल खड़ा करने के लिए किया। 16 जून को मिड डे समाचार पत्र में प्रकाशित 5 कॉलम री रिपोर्ट में दावा किया गया था पुलिस ने अपनी जाँच में पाया है कि एनडीए के प्रत्याशी रवींद्र वायकर के रिश्तेदार ने मतदान के वक्त फोन इस्तेमाल कर रहे थे जो कि ईवीएम से कनेक्ट था। इस रिपोर्ट में पुलिस के हवाले से कहा गया था कि प्रत्याशी का रिश्तेदार ओटीपी के जरिए ईवीएम अनलॉक कर रहा था। पुलिस उसका फोन फॉरेंसिक जाँच को भेज चुकी है।
इसी रिपोर्ट के बाद राहुल गाँधी ने ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए चुनावों में फ्रॉड होने की बात कही थी। साथ ही लोकतंत्र पर प्रश्न खड़े किए।
सुप्रिया श्रीनेत ने बिन किसी जानकारी के कहा कि मुंंबई की पश्चिम सीट से एनडीए प्रत्याशी रवींद्र वायकर 48 वोट से जीते क्योंकि उनके रिश्तेदार का मोबाइल फोन उससे जुड़ा था। इसी से ईवीएम अनलॉक हुई।
प्रियंका चतुर्वेदी ने इस मामले में निर्वाचन आयोग पर सवाल खड़े किए थे। कहा गया था कि एनडीए प्रत्याशी का रिश्तेदार फोन लेकर गया था। अगर चुनाव आयोग इस पर एक्शन नहीं लेता है तो ये बड़ा स्कैम हो सकता है।
इसी प्रकार अन्य नाम भी हैं जो इस रिपोर्ट के आधार पर झूठ फैला रहे थे और प्रश्न उठा रहे थे। हालाँकि, अब जब मिड डे द्वारा अपना आर्टिकल हटा लिया है तो लोग सवाल कर रहे हैं कि क्या राहुल गाँधी जैसे नेताओं पर बिन सच्चाई जानें झूठी खबर फैलाने के मामले में कार्रवाई होगी। वो लोग अखबार के साथ रिपोर्टर की मंशा पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं।