100 साल पुराने ‘पचरीघाट’ की पुनर्थापना के लिए आखिरकार बिलासपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड ने निर्माण का काम शुरू कर दिया। अरपा मैया भक्तजन समिति के सदस्यों ने शहर की धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहे पचरीघाट के पास डैम बनाने के बाद पचरीघाट के पुनर्निर्माण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन किया था।
समिति के सदस्य और नागरिक इस बात सेखफा थे कि प्रशासन ने डैम निर्माण के समय पचरीघाट के पुनर्नर्माण का आश्वासन दिया था, लेकिन 100 करोड़ का डैम बन जाने के बावजूद पचरीघाट की अस्मिता बहाल करने कोई काम नहीं किया गया।
पचरीघाट बिलासपुर का सांस्कृतिक केंद्र
थावे विद्यापीठ के कुलपति और छत्तीसगढ राज भाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक की माने तो पचरीघाट का इतिहास बिलासपुर की बसाहट के साथ जुड़ा हुआ है।
एक तरह से यह अंचल की संस्कृति का केंद्र रहा है, क्योंकि भोजली, दुर्गा, गणेश, गौरी-गौरा से लेकर देवी देवताओं के विसर्जन, धार्मिक और सामाजिक कार्य इसी घाट पर वर्षों से संपन्न होते रहे हैं।
इस लिहाज से यह 100 साल से भी अधिक पुराना हो सकता है। पचरीघाट शहर के पहचान चिन्हों में शुमार है। इसलिए इसकी गौरव गरिमा अक्षुण रखी जानी चाहिए।