क्या राहुल गांधी बनेंगे नेता प्रतिपक्ष? दिग्विजय ने प्रस्ताव रखा, दो CM ने मनाया लेकिन राहुल की हां बाकी

‘राहुल गांधी इस बार लीडर ऑफ अपोजिशन का पद स्वीकार करेंगे, वे हम सभी को निराश नहीं करेंगे।’


अधीर रंजन चौधरी की तरह कांग्रेस के सभी नेताओं को उम्मीद है कि राहुल गांधी इस बार लोकसभा में विपक्ष के नेता बनेंगे। कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग में इस पर प्रस्ताव भी पास हो चुका है। पॉलिटिकल एक्सपर्ट मानते हैं कि राहुल गांधी लोकसभा में विपक्ष के नेता बने, तो कांग्रेस को नई दिशा और ऊर्जा मिल सकती है। हालांकि राहुल के मन में क्या है, ये अभी साफ नहीं है। सभी की मांग और सहमति के बावजूद वे 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष का पद ठुकरा चुके हैं।
काग्रेस जिम्मेदारी देने के लिए तैयार, राहुल की हां का इंतजार लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद 8 जून को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की मीटिंग हुई थी। पार्टी के सभी बड़े नेताओं की मौजूदगी में राहुल को लीडर ऑफ अपोजिशन बनाने का प्रस्ताव पास हुआ।

CWC की मीटिंग में पूर्व सांसद अधीर रंजन चौधरी भी थे। वे 2019 से 2024 तक संसद में कांग्रेस के नेता रहे हैं। चौधरी से पूछने पर कि पार्टी के नेताओं की मांग के बावजूद राहुल गांधी ने पार्टी का अध्यक्ष बनने से इनकार कर दिया था। इस बार अगर राहुल ऐसा करते हैं, तो पार्टी क्या करेगी? अधीर रंजन चौधरी ने जवाब दिया, ‘पहले की बात अलग थी, इस बार अलग है।’
मीटिंग में मौजूद सूत्र बताते हैं कि राहुल को नेता प्रतिपक्ष बनाने का प्रस्ताव दिग्विजय सिंह ने रखा था। इस पर सभी नेताओं ने सहमति जताई। दिग्विजय सिंह के बाद कर्नाटक CM सिद्धारमैया और तेलंगाना के CM रेवंत रेड्डी ने राहुल गांधी से ये जिम्मेदारी लेने की अपील की। मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि इस बार आपको हमारी बात माननी पड़ेगी।
यूथ कांग्रेस के नेशनल प्रेसिडेंट बीवी श्रीनिवास ने राहुल गांधी से कहा कि लोग चाहते थे कि आप प्रधानमंत्री बनें, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है। अब लोगों की मांग है कि आप लीडर ऑफ अपोजिशन बने। आप ये जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हैं तो लोग मायूस हो जाएंगे। सभी नेताओं की बात सुनने के बाद राहुल गांधी ने विचार करने के बाद जवाब देने की बात कही।

लीडर ऑफ अपोजिशन का पद 10 साल से खाली पिछले 10 साल से संसद में कोई लीडर ऑफ अपोजिशन नहीं है। लोकसभा की वेबसाइट पर पिछला नाम BJP लीडर सुषमा स्वराज का है। वे 21 दिसंबर, 2009 से 18 मई, 2014 तक इस पद पर रही थीं
‘लीडर ऑफ अपोजिशन इन पॉर्लियामेंट एक्ट-1977’ के मुताबिक, संसद में विपक्ष के नेता का मतलब है, राज्यसभा या लोकसभा में विपक्ष के सबसे बडे दल का नेता, जिसे राज्यसभा के सभापति या लोकसभा के अध्यक्ष मान्यता देते हैं। अगर विपक्ष में दो या ज्यादा पार्टियों के नंबर एक जैसे हों, तो सभापति या अध्यक्ष पार्टी की स्थिति के आधार पर फैसला लेते हैं।
2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी थी। 2014 में उसे 44 और 2019 में 52 सीें मिली थीं। हालांकि दोनों बार नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा। लीडर ऑफ अपोजिशन इन पॉर्लियामेंट एक्ट-1977 से पहले मावलंकर नियम के तहत नेता प्रतिपक्ष चुन जाते थे। इसके लिए लोकसभा की कुल संख्या के 10% यानी 54 सांसद होना जरूरी था।
इस बार कांग्रेस ने 99 सीेटें जीती हैं। ये लोकसभा की कुल संख्या का 18% हैं। इस लिहाज से भी कांग्रेस लीडर ऑफ अपोजिशन पद की हकदार है। विशेषज्ञों का मानना है कि राहुल गांधी अगर ये जिम्मेदारी लेते हैं, तो कांग्रेस को इसका फायदा होगा। राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष की भूमिका ज्यादा प्रभावी और मुखर हो सकती है।

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